उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
श्रम विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार

अधिनियम तथा नियम

दंड और प्रक्रिया

(47) सुरक्षा उपायों के संबंध में प्रावधानों के उल्लंघन के लिए दंड -
(1) यदि कोई व्यक्ति धारा 40 के तहत किसी नियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उसे तीन महीने तक की अवधि के लिए कारावास या दो हजार रुपए तक के अर्थदंड या दोनों से दंडित किया जा सकेगा, और सतत उल्लंघन के संबंध में ऐसे पहले उल्लंघन के बाद दोषी सिद्ध किए जाने के दिन से प्रतिदिन उल्लंघन पर एक सौ रुपए तक के अतिरिक्त अर्थदंड से दंडित किया जा सकेगा।


(2) यदि किसी व्यक्ति को उप-धारा (1) के तहत दंडनीय किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है उसी प्रावधान के अनुपालन का उल्लंघन या विफलता से जुड़े अपराध का पुनः दोषी पाया जाता है तो पुनः दोषी ठहराये जाने के बाद उसे छह महीने तक के कारावास या कम से कम पाँच सौ रुपए जो दो हजार रुपए तक हो सकता है या दोनों से दंडित किया जा सकेगा;


बशर्ते, इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, अपराध के लिए दोषी ठहराये जाने के दो वर्ष से पूर्व का कोई संज्ञान नहीं लिया जायेगा, जिसके लिए व्यक्ति को पुनः दोषी सिद्ध किया जा रहा है;
परंतु यदि जुर्माना लगाने वाला प्राधिकारी, इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि ऐसी असाधारण परिस्थितियां हैं जिनके कारण ऐसा निर्णय लिया जा सकता है उन परिस्थितियों को लिखित रूप में अंकित करते हुए, कम से कम पांच सौ रुपए का जुर्माना लगा सकता है।


टिप्पणी

भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए बनाए गए किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर तीन माह तक का कारावास, या दो हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। और सतत उल्लंघन के संबंध में ऐसे पहले उल्लंघन के बाद दोषी सिद्ध किए जाने के दिन से प्रतिदिन उल्लंघन पर एक सौ रुपए तक के अतिरिक्त अर्थदंड से दंडित किया जा सकेगा। ऊपर उद्धृत किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराये जाने के बाद उसी प्रावधान के अनुपालन का उल्लंघन या विफलता से जुड़े अपराध का पुनः दोषी पाया जाने पर छह महीने तक के कारावास या कम से कम पाँच सौ रुपए जो दो हजार रुपए तक हो सकता है या दोनों से दंडित किया जा सकेगा।

(48) भवन या या अन्य संनिर्माण कार्य के प्रारंभ होने की सूचना देने की विफलता के लिए दंड -

यदि कोई नियोक्ता, धारा 46 के तहत भवन या अन्य संनिर्माण कार्य के प्रारंभ होने की सूचना देने में विफल रहता है, तो वह तीन माह तक की कारावास की अवधि या दो हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों से दंडनीय होगा।


टिप्पणी

भवन या या अन्य संनिर्माण कार्य के प्रारंभ होने की सूचना देने में विफल रहने पर, तीन माह तक की कारावास की अवधि या दो हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

(49) अवरोधों के लिए दंड -
(1) यदि कोई भी इस अधिनियम के तहत अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किसी निरीक्षक को किसी प्रतिष्ठान के संबंध इस अधिनियम के तहत या इसके द्वारा अधिकृत किसी युक्तियुक्त सुविधा में प्रवेश या उसका निरीक्षण, परीक्षण, जांच या पड़ताल करने से बाधित करता है या इनकार करता है तो उसे तीन माह तक के कारावास या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकेगा।
(2) कोई भी जानबूझकर, यदि किसी निरीक्षक द्वारा इस अधिनियम के अनुपालन में रखे गये किसी भी रजिस्टर या अन्य दस्तावेज मांगे जाने पर देने से मना करता है या ऐसा कोई भी कार्य करता है जिससे निरीक्षक को समाधान हो जाता है कि उसके कर्तव्यों के अनुपालन में किसी व्यक्ति को सामने आने से रोका जा रहा है या रोकने का प्रयास किया जा रहा है तो उसे तीन महीने तक का कारावास या एक हजार रुपए जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकेगा।


टिप्पणी

यदि कोई भी व्यक्ति (i) अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किसी निरीक्षक को किसी प्रतिष्ठान के संबंध किसी युक्तियुक्त सुविधा में प्रवेश या उसका निरीक्षण, परीक्षण, जांच या पड़ताल करने से बाधित करता है या इनकार करता है। ;पपद्ध किसी निरीक्षक द्वारा किसी भी रजिस्टर या अन्य दस्तावेज के मांगे जाने पर देने से मना करता है वह किसी व्यक्ति को सामने आने से रोकता है या रोकने के प्रयास करता है तो उसे तीन महीने तक का कारावास या एक हजार रुपए जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकेगा।


(50) अन्य अपराधों के लिए दंड -
(1) कोई भी व्यक्ति जो इस अधिनियम के किसी अन्य प्रावधान या उसके अधीन बनाए गए नियमों का उल्लंघन करता है या इस अधिनियम के किसी प्रावधान या उसके अधीन बनाए गए किसी भी नियम का अनुपालन करने में विफल रहता है, जहां इस तरह के उल्लंघन या विफलता के लिए कोई दंड नही बताया गया है, ऐसे प्रत्येक उल्लंघन या विफलता के लिए जैसी भी स्थिति हो एक हजार रूपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा, और उल्लंघन या विफलता जारी रखने के संबंध में, जैसी भी स्थिति हो, पहले ऐसे उल्लंघन का दोषी ठहराये जाने के बाद, उस दिन से जिस दिन से ऐसा उल्लंघन या विफलता दोहराई गई है से प्रति दिन सौ रूपये तक के अतिरिक्त जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा।


(2) उप-धारा (1) के तहत दंड निम्नलिखित के द्वारा लगाया-जा सकेगा


  • (a) महानिदेशक द्वारा जहां उल्लंघन या विफलता के मामले में समुचित सरकार, केंद्र सरकार हैय और
  • (b) मुख्य निरीक्षक द्वारा जहां उल्लंघन या विफलता के मामले में समुचित सरकार, राज्य सरकार है।

(3) संबंधित व्यक्ति को निम्नलिखित के संबंध में लिखित में नोटिस दिये बिना कोई जुर्माना नहीं लगाया जा सकेगा-


  • उसे उन आधारों को सूचित करना होगा जिन पर उस पर जुर्माना लगाया जाना प्रस्तावित है
  • उसे ऐसे युक्तिसंगत समय में जैसा कि उसकी नोटिस में लगाए गए जुर्माने के साथ निर्दिष्ट किया जा सकेगा, लिखित रूप में प्रतिनिधित्व और यदि वह इच्छुक है तो इस मामले में उसको सुने जाने का समुचित अवसर करना होगा।

(4) महानिदेशक और मुख्य निरीक्षक को, इस अधिनियम में निहित किसी अन्य प्रावधान पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 ;1908 का 5द्ध के तहत इस धारा के अधीन किसी भी शक्ति का प्रयोग करते समय, एक सिविल कोर्ट के सभी अधिकार प्राप्त होगें, अर्थात्ः-


  • बुलाने व गवाहों की उपस्थिति प्रवर्तित करने के संबंध में;
  • किसी भी दस्तावेज की खोज और प्रस्तुत किए जाने के संबंध में;
  • किसी न्यायालय या कार्यालय से सार्वजनिक रिकॉर्ड या तत्संबंधी प्रति मांगने के संबंध में;
  • हलफनामों पर साक्ष्य प्राप्त करने के संबंध में; और
  • गवाहों या दस्तावेजों की जांच के लिए कमीशन जारी करने के संबंध में।

(5) इस धारा में निहित कोई भी प्रावधान, किसी भी व्यक्ति के विरूद्ध इस अधिनियम के किसी भी अन्य प्रावधान के तहत या इस अधिनियम द्वारा दंडनीय किसी अन्य कानून के तहत किए गए किसी अपराध के लिए अभियोजित करने से निषेध कर सकेगा या जैसी भी स्थिति हो इस अधिनियम के तहत या किसी अन्य कानून के तहत इस धारा में किए गए अपराध के लिए किसी अन्य या उच्च जुर्माना या दंड से दंडित नहीं किया जा सकेगा।
बशर्ते किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार सजा नहीं दी जा सकेगी।


टिप्पणी

कोई भी व्यक्ति जो इस अधिनियम के किसी अन्य प्रावधान या उसके अधीन बनाए गए नियमों का उल्लंघन करता है या उनका अनुपालन करने में विफल रहता है, जहां इस तरह के उल्लंघन या विफलता के लिए कोई दंड नही बताया गया है, ऐसे प्रत्येक उल्लंघन या विफलता के लिए जैसी भी स्थिति हो एक हजार रूपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा। उल्लंघन या विफलता जारी रखने के संबंध में, जैसी भी स्थिति हो, पहले ऐसे उल्लंघन का दोषी ठहराये जाने के बाद, उस दिन से जिस दिन से ऐसा उल्लंघन या विफलता दोहराई गई है से प्रति दिन सौ रूपये तक के अतिरिक्त जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा।


(51) अपील -
(1) धारा 50 के तहत कोई जुर्माना लगाए जाने से व्यथित कोई भी व्यक्ति निम्न के समक्ष अपील कर सकेगा-


  • जहां जुर्माना महानिदेशक, द्वारा लगाया गया है केन्द्र सरकार;
  • जहां जुर्माना मुख्य निरीक्षक, द्वारा लगाया गया है राज्य सरकार,

ऐसा जुर्माना लगाए जाने की व्यक्ति को सूचित करने की तारीख से तीन माह की अवधि के भीतरः

बशर्ते, केन्द्र सरकार या राज्य सरकार, जैसी भी स्थिति हो, को यदि यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी को तीन महीने की उपरोक्त अवधि के भीतर अपील करने से पर्याप्त कारणों से रोका गया था तो, ऐसी अपील तीन महीने की अतिरिक्त अवधि में करने की अनुमति दे सकेगी।
(2) अपीलीय प्राधिकारी, अपीलार्थी को यदि वह ऐसा चाहता है, पक्ष रखने का अवसर देकर, और इस तरह की आगे की जांच करने के बाद, यदि कोई हो, जैसा वह आवश्यक समझे, उसकी पुष्टि, संशोधन या उचित ठहराने का आदेश जारी कर सकता है या अपील के विरूद्ध आदेश को उलट सकता है या ऐसे निर्देशों के साथ जैसा वह एक नये निर्णय के लिए उचित समझे मामले को वापस भेज सकता हैं।


टिप्पणी

यदि कोई व्यक्ति धारा 50 के तहत कोई जुर्माना लगाए जाने से व्यथित है, तो वह महानिदेशक द्वारा लगाया गये जुर्माने के संबंध में केंद्र सरकार के समक्ष और मुख्य निरीक्षक द्वारा लगाये गये जुर्माने के संबंध में राज्य सरकार के समक्ष ऐसे व्यक्ति को जुर्माना लगाने के संबंध में सूचित किए जाने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर अपील कर सकता है। यदि अपीलार्थी को तीन महीने की उपरोक्त अवधि के भीतर अपील करने से पर्याप्त कारणों से रोका गया था तो, सरकार ऐसी अपील तीन महीने की अतिरिक्त अवधि में करने की अनुमति दे सकेगी।


(52) दंड की वसूली-
यदि धारा 50 के तहत किसी भी व्यक्ति पर लगाये गये किसी दंड का भुगतान नहीं किया जाता है, तो- महानिदेशक या, जैसी भी स्थिति हो, मुख्य निरीक्षक ऐसे बकाये को किसी पैसे से जो उसके नियंत्रण में है से उस व्यक्ति द्वारा देय राशि की कटौती कर सकता है; या


  • महानिदेशक या, जैसी भी स्थिति हो, मुख्य निरीक्षक इस तरह के व्यक्ति से संबंधित सामान को अपने नियंत्रण में करके या उसे बेच करके देय राशि की वसूली कर सकता है; या
  • यदि इस तरह के व्यक्ति से उपबंध ;पद्ध या उपबंध ;पपद्ध में बताए गए तरीके अनुसार राशि बरामद नहीं की जा सकती है, तो महानिदेशक या जैसी भी स्थिति हो, मुख्य निरीक्षक ऐसे व्यक्ति पर बकाया राशि का उल्लेख करते हुए अपने हस्ताक्षर द्वारा एक प्रमाण पत्र तैयार कर सकेगें और उसे उस जिले के कलेक्टर के पास भेजेंगे जिसमें ऐसे व्यक्ति की कोई भी संपत्ति है या वह वहां रहता है या अपने व्यवसाय का मालिक है और उसे संचालित करता है और उक्त कलेक्टर इस तरह के प्रमाण पत्र की रसीद प्राप्त करने पर उसमें निर्दिष्ट राशि को ऐसे व्यक्ति के भू-राजस्व के बकाये के रूप में वसूल करेगा।

(53) कंपनियों द्वारा अपराध -
(1) जहां इस अधिनियम के तहत किसी कंपनी द्वारा एक अपराध किया गया है, प्रत्येक व्यक्ति जो अपराध घटित होने के दौरान प्रभारी था, और कंपनी के कारोबार के संचालन में कंपनी के प्रति उत्तरदायी था व साथ ही कंपनी को अपराध का दोषी समझा जाएगा और उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकेगी और तदनुसार दंडित किया जा सकेगा;


बशर्ते, इस उप-धारा में निहित कोई भी प्रावधान, किसी भी व्यक्ति को दण्डित नहीं कर सकेगा यदि वह साबित कर देता है अपराध उसकी जानकारी के बिना हुआ या उसने इस तरह के अपराध को घटित होने से रोकने के लिए सभी संभव प्रयास किया था।


(2) उप-धारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां, इस अधिनियम के तहत कोई भी अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि यह अपराध किसी भी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या कंपनी के अन्य अधिकारी की सहमति या मिलीभगत के साथ घटित किया गया है तो ऐसे निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी को उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और उनके खिलाफ कार्यवाही करते तदनुसार दंडित किया जा सकेगा।


स्पष्टीकरण - इस धारा के प्रयोजनों के लिए -
(a) ‘कंपनी’ से कोई भी कॉर्पोरेट निकाय अभिप्रेत है और इसमें फर्म या व्यक्ति या अन्य संगठन भी शामिल है; और
(b) एक फर्म के संबंध में ‘निदेशक’, से, फर्म में भागीदार होने से, अभिप्रेत है।


(54) अपराधों का संज्ञान -
(1) कोई भी अदालत निम्नलिखित द्वारा की गई शिकायत के अतिरिक्त इस अधिनियम के तहत दंडनीय किसी अपराध को संज्ञान में नहीं ले सकेगी-
(a) महानिदेशक या मुख्य निरीक्षक, द्वारा, या लिखित रूप में पूर्व स्वीकृत से की गई; या
(b) सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 ;1860 का 21द्ध के तहत पंजीकृत एक स्वैच्छिक संगठन के एक पदाधिकारी द्वारा की गई; या
(c) एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के एक पदाधिकारी द्वारा जो इस अधिनियम के तहत दंडनीय किसी अपराध की सुनवाई करेगा
(2) एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के एक न्यायिक मजिस्ट्रेट से अवर किसी न्यायालय को इस अधिनियम के तहत दंडनीय किसी अपराध की सुनवाई का अधिकार नहीं होगा।
(55) मुकदमों की सीमा -
कोई भी अदालत इस अधिनियम के तहत दंडनीय किसी अपराध को संज्ञान में नहीं ले सकेगी जब तक कि उसकी शिकायत महानिदेशक या मुख्य निरीक्षक, एक स्वैच्छिक संगठन के एक पदाधिकारी; या जैसी भी स्थिति हो संबंधित ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी के संज्ञान में आने के भीतर न कर दी गई हो।


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